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Sunday, May 8, 2011

Fwd: [HamareSaiBaba] तेरे दर्शन को प्यासी है ये मेरी अखियाँ

---------- Forwarded message ----------
From: Maneesh Bagga <maneeshbagga@saimail.com>
Date: 2011/5/7
Subject: [HamareSaiBaba] तेरे दर्शन को प्यासी है ये मेरी अखियाँ
To: hamare sai <hamaresaibaba@googlegroups.com>


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तेरे दर्शन को प्यासी है ये मेरी अखियाँ !

मस्तक है व्याकुल तेरे चरणों में झुकने को !!

नतमस्तक है समस्त शब्दों की माला मेरी !
तैयार हूँ मै तुम पर खुद को भी अर्पण करने को !!

इच्छाए है मन में बहुत जीवन में बहुत निराशा है !
पार लगाओगे तुम मेरी नैया मुझे तुम पर पूर्ण भरोसा है !!

सांस हो मेरे जीवन की आस हो मेरे मधुवन की !
वीरान पड़ा है तुम बिन सब कुछ उद्धार की अब अभिलाषा है !!

प्राणों पर है हक़ तुम्हारा स्वामी हो इस तन मन के !
मै निर्धन हूँ तुमको क्या दूंगा जानते हो तुम इस दर्पण को !!

उज्जवल नहीं हूँ, न हूँ पापमुक्त मै शरण तुम्हारी आया हूँ !
उद्धार करो या शाप दो अब तुम मै बस प्राश्चित करने आया हूँ !!

प्राश्चित है मेरे कर्मो का जो चाहे तुम फल देना मुझको !
संदेह नहीं है कोई मन के भीतर सब कुछ छोड़ा है अब तुम पर !!

तुम रचियिता हो श्रृष्टि के सञ्चालन तुम को ही करना है !
मै निर्गुण " मानव " क्या जानू अंत
--
MANEESH BAGGA 9910819898.

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