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Tuesday, June 5, 2012

Fwd: [HamareSaiBaba] Sai Sandesh



---------- Forwarded message ----------
From: Maneesh Bagga






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ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं 
निर्बल और गरीब के, मालिक साईं नाथ |
सबका मालिक एक है, भज ले दीनानाथ ||
श्री साईं कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे 
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अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म श्री सचिदानंद समस्त सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय !
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साईं वचन - मेरे भक्तों में दया कूट-कूटकर भरी रहती है, दूसरों पर दया करने का अर्थ है मुझे प्रेम करना चाहिए, मेरी भक्ति करना|
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---शिवजी की आरती---
शीश गंग अर्द्धागड़ पार्वती,सदा विराजत कैलाशी |
नंदी भृंगी नृत्य करत हैं,धरत ध्यान सुर सुख रासी ||

शीतल मंद सुगंध पवन बहे,वहाँ बैठे है शिव अविनासी |
करत गान गंधर्व सप्त स्वर,राग रागिनी सब गासी ||

यक्षरक्ष भैरव जहं डोलत,बोलत है बनके वासी |
कोयल शब्द सुनावत सुन्दर,भंवर करत हैं गुंजासी ||

कल्पद्रुम अरु पारिजात,तरु लाग रहे हैं लक्षासी |
कामधेनु कोटिक जहं डोलत,करत फिरत है भिक्षासी ||

सूर्य कांत समपर्वत शोभित,चंद्रकांत अवनी वासी |
छहों ऋतू नित फलत रहत हैं,पुष्प चढ़त हैं वर्षासी ||

देव मुनिजन की भीड़ पड़त है,निगम रहत जो नित गासी |
ब्रह्मा विष्णु जाको ध्यान धरत हैं,कछु शिव हमको फरमासी ||

ऋद्धि-सिद्धि के दाता शंकर,सदा अनंदित सुखरासी |
जिनको सुमरिन सेवा करते,टूट जाय यम की फांसी ||

त्रिशूलधर को ध्यान निरन्तर,मन लगाय कर जो गासी |
दूर करे विपता शिव तन की,जन्म-जन्म शिवपत पासी ||

कैलाशी काशी के वासी,अविनासी मेरी सुध लीज्यो |
सेवक जान सदा चरनन को,आपन जान दरश दीज्यो ||

तुम तो प्रभुजी सदा सयाने,अवगुण मेरो सब ढकियो |
सब अपराध क्षमाकर शंकर,किंकर की विनती सुनियो ||
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श्री सच्चिदानंद साई महाराज को साष्टांग नमस्कार करके उनके चरण पकड़ कर हम सब भक्तों के कल्याणार्थ उनसे प्रार्थना करते है कि हे साई । हमारे मन की चंचलता और वासनाओं को दूर करो । हे प्रभु । तुम्हारे श्रीचरणों के अतिरिक्त हममें किसी अन्य वस्तु की लालसा न रहे । श्री साईं जी के वचनों को पड़ने के लिए आएं.....https://www.facebook.com/pages/Sai-Community/326642784024733

 

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