चिन्ता भय से ग्रस्त मनुष्त किसी कार्य को आरम्भ ही नहीं करता क्योंकि वह अपने मार्ग में अनेकों बाधाएं देखने लगता हे और यदि वह आरम्भ कर भी दे तो चिन्ता का बोज्ञ उठाने से वह इतना थक जाता हे कि कार्य का बोज्ञ उठाना उसके बस का नहीं होता ! इस लिय चिंता मत करो !