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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

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Wednesday, October 31, 2012

माँ कालरात्री



माँ कालरात्री 










माँ कात्यानी


माँ कात्यानी 

शेरों वाली माता


शेरों वाली माता 

माँ स्कन्द माता




माँ स्कन्द माता 

माँ कूशामांडा


माँ कूशामांडा 


मान चंद्रघंटा

मान चंद्रघंटा 

माँ शैलपुत्री

माँ शैलपुत्री 

शंकर परिवार

शंकर परिवार 

शेरोन वाली माता

शेरोन वाली माता 

Photo: नमो नमो दुर्गे सुख करनी. नमो नमो अम्बे दुःख हरनी. निरंकार है ज्योति तुम्हारी. तिहूँ लोक फ़ैली उजियारी. नमो नमो दुर्गे सुख करनी. नमो नमो अम्बे दुःख हरनी दुर्गा करहु कृपा जगदम्ब भवानी. . आशा तृश्णा निपट सतावे. रिपु मूरख मोहि अति डर पावै. शत्रु नाश कीजै महारानी. सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी. 卐 जय माँ दुर्गे 卐 卐 जय माता दी 卐

Monday, October 29, 2012

Fwd: [HamareSaiBaba] shirdi sai baba teachings



---------- Forwarded message ----------
From: Maneesh Bagga <maneeshbagga@saimail.com>
Date: Mon, Oct 29, 2012 at 9:36 AM
Subject: [HamareSaiBaba] shirdi sai baba teachings
To: hamare sai <hamaresaibaba@googlegroups.com>






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Saturday, October 27, 2012

Fwd: [HamareSaiBaba] shirdi sai baba teachings



---------- Forwarded message ----------
From: Maneesh Bagga <maneeshbagga@saimail.com>
Date: 2012/10/27
Subject: [HamareSaiBaba] shirdi sai baba teachings
To: hamare sai <hamaresaibaba@googlegroups.com>









यद्यपि बाबा का स्वरुप अब देखने को नहीं मिल सकता है, फिर भी यदि हम शिरडी को जाये तो हमें वहाँ उनका जीवित-सदृश चित्र (द्घारकामाई) को शोभायमान करते हुए अब भी देखने में आयेगा । यह चित्र बाबा के एक प्रसिद्ध भक्त-कलाकार श्री. शामराव जयकर ने बनाया था । एक कल्पनाशील और भक्त दर्शक को यह चित्र अभी भी बाबा के दर्शन के समान ही सन्तोष और सुख पहुँचाता है । बाबा अब देह में स्थित नहीं है, परन्तु वे सर्वभूतों में व्याप्त है और भक्तों का कल्याण पूर्ववत् ही करते रहे है, करते रहेंगे, जैसा कि वे सदेह रहकर किया करते थे । बाबा अमर है, चाहे वे नरदेह धारण कर ले, जो कि एक आवरण मात्र है, परन्तु वे तो स्वयं भगवान श्री हरि है, जो समय-समय पर भूतल पर अवतीर्ण होते है ।
(श्री साई सच्चरित्र)



BABA'S PAALKI IS READY FOR PAALKI YATRA AT 2300 US 1 NORTH, DOCK 2, SUITE#103, 2ND FLOOR, NORTH BRUNSWICK, NJ - 08902 ON SAMADHI DIWAS CELEBRATION 2012

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Tuesday, October 23, 2012

Jai Mata Di



-Maneesh Bagga






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 Maneesh Bagga



इष्ट श्रीराम
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एक समय एक मामलतदार अपने एक डॉक्टर मित्र के साथ शिरडी पधारे । डॉक्टर का कहना था कि मेरे इष्ट श्रीराम हैं । मैं किसी यवन को मस्तक न नमाऊँगा । अतः वे शिरडी जाने में असहमत थे । मामलतदार ने समझाया कि "तुम्हें नमन करने को कोई बाध्य न करेगा और न ही तुम्हें कोई ऐसा करने को कहेगा । अतः मेरे साथ चलो, आनन्द रहेगा।" वे शिरडी पहुँचे और बाबा के दर्शन को गये । परन्तु डॉक्टर को ही सबसे आगे जाते देख और बाबा की प्रथम चरण वन्दना करते देख सब को बढ़ा विस्
मय हुआ । लोगों ले डाँक्टर से अपना निश्चय बदलने और इस भाँति एक यवन को दंडवत् करने का कारण पूछा । डॉक्टर ने बतलाया कि बाबा के स्थान पर उन्हें अपने प्रिय इष्ट देव श्रीराम के दर्शन हुए और इसलिये उन्होंने नमस्कार किया । जब वे ऐसा कह ही रहे थे, तभी उन्हें साईबाबा का रुप पुनः दीखने लगा । वे आश्चर्यचकित होकर बोले – "क्या यह स्वप्न है? ये यवन कैसे हो सकते हैं ? अरे ! अरे ! यह तो पूर्ण योग-अवतार है ।" दूसरे दिन से उन्होंने उपवास करना प्रारम्भ कर दिया । उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जब तक बाबा स्वयं बुलाकर आशीर्वाद नहीं देंगे, तब तक मस्जिद में कदापि न जाऊँगा । इस प्रकार तीन दिन व्यतीत हो गये । चौथे दिन उनका एक इष्ट मित्र खानदेश से शरडी आया । वे दोनों मस्जिद में बाबा के दर्शन करने गये । नमस्कार होने के बाद बाबा ने डाँक्टर से पूछा, "आपको बुलाने का कष्ट किसने किया ? आप यहाँ कैसे पधारे ?" यह प्रश्न सुनकर डाँक्टर द्रवित हो गये और उसी रात्रि को बाबा ने उनपर कृपा की । डाँक्टर को निद्रा में ही परमानन्द का अनुभव हुआ । वे अपने शहर लौट आये तो भी उन्हें 15 दिनों तक वैसा ही अनुभव होता रहा । इस प्रकार उनकी साईभक्ति कई गुना बढ़ गई ।
उपर्यु्क्त कथा की शिक्षा यही है कि हमें अपने गुरु में दृढ़ विश्वास होना चाहिये ।
(श्री साई सच्चरित्र)


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Sunday, October 21, 2012

जय माता दी


Naveen Vig 8:41am Oct 21
जय माता दी , जय माता दी , जय माता दी , जय माता दी , जय माता दी ,...हरि ॐ जी ..... Param Pujya Shri Sudhanshuji Maharaj ke amrit vachan (Good Thoughts) Shared from : http://naveenvig1.blogspot.in/



Saturday, October 20, 2012

Fwd: [Sudhanshuji Maharaj {ENDLESS JOURNEY}] ** विशव जाग्रति मिशन ** सद गुरु की अमृत वाणी -...








Vinod Rohila Vjm
** विशव जाग्रति मिशन ** 

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय



Thursday, October 18, 2012

ॐ नमः शिवाय ! त्रिताप हारी भोले नाथ



Vinod Rohila Vjm


ॐ नमः शिवाय ! त्रिताप हारी भोले नाथ मंगल कारी हे ओर उनका ............



Saturday, October 6, 2012

shirdi sai teachings



Maneesh Bagga







गुरुकृपा
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गत अध्यायों की कथाओं से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि गुरुकृपा की केवल एक किरण ही भवसागर के भय से सदा के लिये मुक्त कर देती है तथा मोक्ष का पथ सुगम करके दुःख को सुख में परिवर्तित कर देती है । यदि सदगुरु के मोहविनाशक पूजनीय चरणों का सदैव स्मरण करते रहोगे तो तुम्हारे समस्त कष्टों और भवसागर के दुःखों का अन्त होकर जन्म-मृत्यु के चक्र से छुटकारा हो जायेगा । इसीलिये जो अपने कल्याणार्थ चिन्तित हो, उन्हें साई समर्थ के अलौकिक मधुर लीलामृत का पान करना चाहिये । ऐसा करने से उनकी मति शुद्घ हो जायेगी ।
(श्री साई सच्चरित्र, अध्याय 42)



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श्री साईं-कथा आराधना (भाग-16)
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श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

साईं तो हैं इस पूरे ब्रह्मांड के नायक
दुःख हरते सब तरह से बनते सहायक
मां बायजा का ऋण साईं ने ऐसे चुकाया
तांत्या का जीवन मौत के हाथों बचाया
तांत्या बच गया और साईं चले गए
देखते ही देखते समाधिस्थ हो गए
जिसने भी सुना वो स्तब्ध रह गया
एक पल में शिर्डी मे मातम ठहर गया
देह छोड़ने से पहले बाबा ने लक्ष्मी से था कहा
तेरी भक्ति को याद रखेगा ये सारा जहां
बाबा ने उसे भक्ति के नौ रूप थे दिए
नौ सिक्कों के रूप में भक्ति के नए अर्थ दे दिए

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए

बाबा के देह त्यागने की जब खबर फैल गई
शिर्डी में चारों ओर से भीड़ जमा हो गई
शिर्डी के नर-नारी मस्ज़िद की ओर दौड़ पड़े
कुछ रोने लगे और कुछ बेसुध होकर गिर पड़े
अब बाबा की अंतिम क्रिया की बहस चल पड़ी
साईं हिंदू थे या मुसलमान, चर्चा ये चल पड़ी
कुछ यवन बाबा को दफनाने को कहने लगे
कुछ बाबा को बूटीवाडे़ में रखने की फरियाद करने लगे
आखिर में सबने बूटीवाडे़ में रखने का फैंसला किया
इसके लिए उसका बीच का भाग खोदा गया
बाबा बूटीवाडे़ को सार्थक कर गए
मुरलीधर की जगह साईं खुद मुरलीधर ही बन गए

श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए......



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