परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
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Tuesday, December 29, 2015
Thursday, December 24, 2015
Fwd: Madan Gopal Garga sent you an audio file!
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: Tue, Dec 22, 2015 at 7:46 PM
Subject: Madan Gopal Garga sent you an audio file!
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
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Sent by WhatsApp
Sunday, December 13, 2015
भगवान् की कृपा
Friday, December 4, 2015
Monday, November 30, 2015
Sunday, November 29, 2015
Saturday, November 28, 2015
Thursday, November 26, 2015
Tuesday, November 24, 2015
Sunday, November 22, 2015
prarthna
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Tuesday, November 17, 2015
Sunday, November 15, 2015
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-11-14 18:31 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
कभी सोचा है की प्रभु श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ |
नोट : -अपने बच्चों को बार बार पढ़वाये और स्वयं भी जानकारी रखे धर्म को जानना हमरा कर्तव्य है। शेयर करे ताकि हर सनातनी इस जानकारी को जाने.
Friday, November 13, 2015
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-11-09 16:28 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
🔱सुविचार मंथन🔱
आज धनतेरस का पवित्र महापर्व है, जो कि ब्रह्माण्ड के पहले चिकित्सक भगवान "धन्वन्तरी" की याद में मनाया जाता है क्योंकि, वस्तुतः स्वास्थ्य ही सबसे अमूल्य धन है। इसके दो दिवस पश्चात देवी लक्ष्मी का उद्भव हुआ था।
आज के दिन धातु की खरीददारी क्यों की जाती है ?
आज के ही दिन समुद्र मंथन के दौरान ब्रह्माण्ड के प्रथम चिकित्सक भगवान् धन्वन्तरी हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और ऐसी मान्यता है कि आज के दिन धातु घर लाने से उसके साथ अमृत के अंश भी घर आते हैं, इसीलिए, आज धनतेरस के दिन धातु ख़रीदा जाता है।
अकाल मृत्यु से रक्षा हेतु घर के आँगन में यम दीपदान का भी आज विशेष महत्व होता है। दीप प्रज्वलित किये जाते हैं।
धनतेरस धन से सम्बंधित नहीं है। कुंठित उपभोक्तावाद से प्रेरित बाजारीकरण के कारण धनतेरस को लेकर कुछ भ्रांतियों के कारण यह बहुत कम लोग जानते है की वास्तव में धनतेरस में "धन" शब्द स्वास्थ्य के देवता धनवंतरी से लिया गया है कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। देवी लक्ष्मी निश्चित ही धन की देवी हैं परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आपको स्वास्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए यही कारण है कि दीपावली से दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हें। समुद्र मंथन के समय धन्वन्तरि जी कलश में अमृत लेकर प्रकट हुए थे इसी कारण इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा है आज के दिन वास्तविक परम्परा केवल नया बर्तन खरीदने की है या चाँदी भी खरीद सकते हैं। बाजारीकरण और धन के प्रति हमारे लगाव ने हमें भटका सा दिया है और हम भीड़ के पीछे चलकर कुछ भी खरीदने को चल पड़ते है जैसे टीवी, वाहन, कपडे, फर्नीचर आदि जो कि मूर्खता है एवं पूर्णतया कुंठित उपभोक्तावाद से प्रेरित है। इस दिन चाँदी खरीदने की प्रथा के पीछे भी यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। भगवान धन्वन्तरी जो चिकित्सा के देवता हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हें। निवेदन है कि स्वास्थ्य रुपी धन के इस दिन को केवल पैसे की दृष्टि से न देखें नहीं तो हमारी परम्परायें या तो समाप्त हो जाएँगी अथवा उनका स्वरुप बिगड़ जायेगा।
इसके साथ ही मेरे सभी मित्रो एवं उनके सम्पूर्ण परिवारजनों को अच्छे स्वास्थ्य एवं लंबी आयु की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Thursday, November 12, 2015
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-11-11 5:41 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
हम दीपावली का त्यौहार क्यूँ मनाते है?
इसका अधिकतर उत्तर मिलता है राम जी के वनवास से लौटने की ख़ुशी में।
सच है पर अधूरा।। अगर ऐसा ही है तो फिर हम सब दीपावली पर भगवान राम की पूजा क्यों नहीं करते? लक्ष्मी जी और गणेश भगवान की क्यों करते है?
सोच में पड़ गए न आप भी।
इसका उत्तर आप तक पहुँचाने का प्रयत्न कर रहा हूँ अगर कोई त्रुटि रह जाये तो क्षमा कीजियेगा।
1. देवी लक्ष्मी जी का प्राकट्य:
देवी लक्ष्मी जी कार्तिक मॉस की अमावस्या के दिन समुन्दर मंथन में से अवतार लेकर प्रकट हुई थी।
2. भगवान विष्णु द्वारा लक्ष्मी जी को बचाना:
भगवान विष्णु ने आज ही के दिन अपने पांचवे अवतार वामन अवतार में देवी लक्ष्मी को राजा बालि से मुक्त करवाया था।
3. नरकासुर वध कृष्ण द्वारा:
इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षसों के राजा नरकासुर का वध कर उसके चंगुल से 16000 औरतों को मुक्त करवाया था। इसी ख़ुशी में दीपावली का त्यौहार दो दिन तक मनाया गया। इसे विजय पर्व के नाम से भी जाना जाता है।
4. पांडवो की वापसी:
महाभारत में लिखे अनुसार कार्तिक अमावस्या को पांडव अपना 12 साल का वनवास काट कर वापिस आये थे जो की उन्हें चौसर में कौरवो द्वारा हराये जाने के परिणाम स्वरूप मिला था। इस प्रकार उनके लौटने की खुशी में दीपावली मनाई गई।
5. राम जी की विजय पर :
रामायण के अनुसार ये चंद्रमा के कार्तिक मास की अमावस्या के नए दिन की शुरुआत थी जब भगवन राम माता सीता और लक्ष्मण जी अयोध्या वापिस लौटे थे रावण और उसकी लंका का दहन करके। अयोध्या के नागरिकों ने पुरे राज्य को इस प्रकार दीपमाला से प्रकाशित किया था जैसा आजतक कभी भी नहीं हुआ था।
6. विक्रमादित्य का राजतिलक:
आज ही के दिन भारत के महान राजा विक्रमदित्य का राज्याभिषेक हुआ था। इसी कारण दीपावली अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना भी है।
7. आर्य समाज के लिए प्रमुख दिन:
आज ही के दिन कार्तिक अमावस्या को एक महान व्यक्ति स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने हिंदुत्व का अस्तित्व बनाये रखने के लिए आर्य समाज की स्थापना की थी।
8. जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण दिन:
महावीर तीर्थंकर जी ने कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही मोक्ष प्राप्त किया था।
9. सिक्खों के लिए महत्त्व:
तीसरे सिक्ख गुरु गुरु अमरदास जी ने लाल पत्र दिवस के रूप में मनाया था जिसमे सभी श्रद्धालु गुरु से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे और 1577 में अमृतसर में हरिमंदिर साहिब का शिलान्यास किया गया था।
1619 में सिक्ख गुरु हरगोबिन्द जी को ग्वालियर के किले में 52 राजाओ के साथ मुक्त किया गया था जिन्हें मुगल बादशाह जहांगीर ने नजरबन्द किया हुआ था। इसे सिक्ख समाज बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी जानते हैं।
10. द पोप का दीपावली पर भाषण:
1999 में पॉप जॉन पॉल 2 ने भारत में एक खास भाषण दिया था जिसमे चर्च को दीपावली के दीयों से सजाया गया था। पॉप के माथे पर तिलक लगाया गया था। और उन्होंने दीपावली के संदर्भ में रोंगटे खड़े कर देने वाली बाते बताई।
भगवान् गणेश सभी देवो में प्रथम पूजनीय है इसी कारण उनकी देवी लक्ष्मी जी के साथ दीपावली पर पूजा होती है और बाकी सभी कारणों के लिए हम दीपमाला लगाकर दीपावली का त्यौहार मनाते हैं।
अब आपसे एक विनम्र निवेदन की इस जानकारी को अपने परिवार अपने बच्चों से जरूर साँझा करे । ताकि उन्हें दीपावली के महत्त्व की पूरी जानकारी प्राप्त हो सके!
शुभ दीपावली
Saturday, November 7, 2015
Thursday, November 5, 2015
कीमती पैसा नहीं
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Saturday, October 24, 2015
जीवन का उद्देश्य
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Fwd:
When BHAKTI enters FOOD,
FOOD becomes PRASAD,
When BHAKTI enters HUNGER,
HUNGER becomes a FAST,
When BHAKTI enters WATER,
WATER becomes CHARANAMRIT,
When BHAKTI enters TRAVEL,
TRAVEL becomes a PILGRIMAGE,
When BHAKTI enters MUSIC,
MUSIC becomes KIRTAN,
When BHAKTI enters a HOUSE,
HOUSE becomes a TEMPLE,
When BHAKTI enters ACTIONS,
ACTIONS become SERVICES,
When BHAKTI enters in WORK,
WORK becomes KARMA,
AND
When BHAKTI enters a MAN,
MAN becomes HUMAN.
😇😇😇😇😇
20 रूपये लीटर में बिक
आज देश के 80% रेलवे स्टेशन
पर खारा पानी मिलता
है।
और बोतल बँद पानी धड्ले
से 20 रूपये लीटर में बिक
रहा है।
मेरा मानना है की
करोड़ो रूपये की लागत से
बने रेलवे स्टेशन पर क्या
3-4 लाख रूपये और लगाकर
30-40 RO water फ़िल्टर
नहीं लगाये जा सकते।
आप कह सकते है की इनका
maintenence महंगा हो
जायेगा तो मेरा तर्क है
की क्या इन RO के पास में
दान पात्र रखा जा
सकता है।
मुझे पूरा विशवास है की
मेरे भारत वर्ष की
दानवीर जनता 1-2 रूपये
करके daily इतना पैसा तो
डाल ही देगी की जितने से
इन RO का daily
maintenence हो सके।
इससे न केवल जनता को
मज़बूरी में पानी 20 रूपये
लीटर खरीदना पड़ेगा
बल्कि साथ ही प्लास्टिक
बोतलों से पर्यावरण को
होने वाले नुकसान से देश
को मुक्ति मिल जाएगी।
हाँ ऐसा होने पर पानी
बेचने वालो की जरुर
छुट्टी हो जाएगी।
किसी सरकार ने ऐसा
किया नहीं
क्योंकि 1 रूपये से भी कम
का पानी जब 20 रूपये में
बिकता है तो शेयर उपर
तक जाता है।
क्या इस पानी घोटाले
को बंद करवाने के लिए आप
हमारे साथ हैं।
अगर हाँ तो ये मेसेज इतना
शेयर कीजिये की सरकार
तक पहुँच जाये।
क्या आप एक जिम्मेदार
नागरिक होंने का फ़र्ज़
निभाएंगे ?
Fwd: Shared a post - "*Pujyavar with Pujya Morari Bapu in Gujarat..."
Pujyavar with Pujya Morari Bapu in Gujarat Ram Katha on October 20, 2015 Om Guruve Namah ! Historic Moments.....Do santon ka milan Hariom All. Earlier this week on October 20, 2015 our Sadguru was in Gujarat at the Holy ram Katha on invitation of Pujya Morari Bapuji. Two God-Realized saints together and thousands of devotees fee...
|
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Friday, October 23, 2015
Fwd:
जय माता दी
🌹नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व🌹
💥नवरात्रि सौन्दर्य, हर्ष उल्लास, उमंगो का पर्व है। कहते है नवरात्रि में माँ दुर्गा धरती पर भ्रमण करती है और अपने सच्चे भक्तों पर कृपा द्रष्टि बरसाते हुए उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती है ।
💥नवरात्रि में माता की कृपा पाने के लिए 2 से लेकर 10 वर्ष तक की नन्ही कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार इनके माध्यम से माता दुर्गा को बहुत आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। वस्तुत: ये कुमारी कन्याएँ माँ आदि शक्ति का ही स्वरूप मानी गयी है ।
💥शास्त्रों के अनुसार दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा गया है । कुमारी के पूजन से सभी तरह के दुखों और दरिद्रता का नाश होता है ।
💥तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति माना गया है । त्रिमूर्ति के पूजन से धन लाभ होता है ।
💥चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहते है । कल्याणी के पूजन से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है |
💥 पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा गया है । माँ के रोहणी स्वरूप की पूजा करने से जातक के घर परिवार से सभी रोग दूर होते है।
💥छः वर्ष की कन्या को काली कहते है । माँ के इस स्वरूप की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि, यश और सभी क्षेत्रों में विजय की प्राप्ति होती है ।
💥 सात वर्ष की कन्या को चंडिका कहते है । माँ चण्डिका के इस स्वरूप की पूजा करने से धन, सुख और सभी तरह की ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है ।
💥आठ वर्ष की कन्या को शाम्भवी कहते है । शाम्भवी की पूजा करने से युद्ध, न्यायलय में विजय और यश की प्राप्ति होती है ।
💥 नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा का स्वरूप मानते है । माँ के इस स्वरूप की अर्चना करने से समस्त विघ्न बाधाएं दूर होती है, शत्रुओं का नाश होता है और कठिन से कठिन कार्यों में भी सफलता प्राप्त होती है ।
💥दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा स्वरूपा माना गया हैं। माँ के इस स्वरूप की आराधना करने से सभी मनवाँछित फलों की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते है ।
💥इसीलिए नवरात्र के इन नौ दिनों तक प्रतिदिन इन देवी स्वरुप कन्याओं को अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य से भेंट देना अति शुभ माना जाता है। इन दिनों इन नन्ही देवियों को फूल, श्रंगार सामग्री, मीठे फल (जैसे केले, सेब,नारियल आदि), मिठाई, खीर , हलवा, कपड़े, रुमाल,रिबन, खिलौने, मेहंदी आदि उपहार में देकर मां दुर्गा की अवश्य ही कृपा प्राप्त की जा सकती है ।
💥नवरात्रे की अष्टमी या नवमी के दिन जिस दिन आप कन्या खिलाएं / पूजन करें उस दिन दस साल से कम उम्र की नौ कन्याओं और एक लडके को पूर्ण श्रद्धा एवं प्रेम से भोजन करा कर यथा शक्ति उन्हें दक्षिणा और उपहार भी अवश्य ही देना चाहिए। अगर आप घर पर हवन कर रहे है तो उनके नन्हे नन्हे हाथों से हवन सामग्री अग्नि में अवश्य डलवाएं।
💥उन्हें इलायची, पान, हलवा / खीर पूरी या जलेबी / मिठाई का सेवन कराकर उन्हें दक्षिणा अवश्य ही दें। यदि संभव हो सके तो अंत में जाते समय उन्हें कोई न कोई बर्तन और एक एक चुनरी देकर घर से बेटी की तरह विदा करें ।
💥और हाँ ..मन........उन्हें विदा करते समय उनके चरण छूकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करना कतई न भूलें।
इन उपरोक्त रीतियों के अनुसार माता की पूजा अर्चना करने से देवी मां प्रसन्न होकर हमें सुख, सौभाग्य,यश, कीर्ति, धन और अतुल वैभव का वरदान देती है।
🙏🌹जय माता दी🌹🙏🏻
Thursday, October 22, 2015
Fwd:
एक औरत ने तीन संतों को अपने घर के सामने
देखा। वह उन्हें जानती नहीं थी।
औरत ने कहा –
"कृपया भीतर आइये और भोजन करिए।"
संत बोले – "क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?"
औरत – "नहीं, वे अभी बाहर गए हैं।"
संत –"हम तभी भीतर आयेंगे जब वह घर पर
हों।"
शाम को उस औरत का पति घर आया और
औरत ने उसे यह सब बताया।
पति – "जाओ और उनसे कहो कि मैं घर
आ गया हूँ और उनको आदर सहित बुलाओ।"
औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के
लिए कहा।
संत बोले – "हम सब किसी भी घर में एक साथ
नहीं जाते।"
"पर क्यों?" – औरत ने पूछा।
उनमें से एक संत ने कहा – "मेरा नाम धन है"
फ़िर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के कहा –
"इन दोनों के नाम सफलता और प्रेम हैं।
हममें से कोई एक ही भीतर आ सकता है।
आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर
लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है।"
औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब
बताया।
उसका पति बहुत प्रसन्न हो गया और
बोला –"यदि ऐसा है तो हमें धन को आमंत्रित
करना चाहिए।
हमारा घर खुशियों से भर जाएगा।"
पत्नी – "मुझे लगता है कि हमें सफलता को
आमंत्रित करना चाहिए।"
उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन रही थी।
वह उनके पास आई और बोली –
"मुझे लगता है कि हमें प्रेम को आमंत्रित करना
चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।"
"तुम ठीक कहती हो, हमें प्रेम
को ही बुलाना चाहिए" – उसके माता-पिता ने
कहा।
औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से पूछा –
"आप में से जिनका नाम प्रेम है वे कृपया घर में
प्रवेश कर भोजन गृहण करें।"
प्रेम घर की ओर बढ़ चले।
बाकी के दो संत भी उनके
पीछे चलने लगे।
औरत ने आश्चर्य से उन दोनों से पूछा –
"मैंने
तो सिर्फ़ प्रेम को आमंत्रित किया था। आप लोग
भीतर क्यों जा रहे हैं?"
उनमें से एक ने कहा – "यदि आपने धन और
सफलता में से किसी एक को आमंत्रित किया होता
तो केवल वही भीतर जाता।
आपने प्रेम को आमंत्रित किया है।
प्रेम कभी अकेला नहीं जाता।
प्रेम जहाँ-जहाँ जाता है, धन और सफलता
उसके पीछे जाते हैं।
इस कहानी को एक बार, 2 बार, 3 बार
पढ़ें ........
अच्छा लगे तो प्रेम के साथ रहें,
प्रेम बाटें, प्रेम दें और प्रेम लें
क्यों कि प्रेम ही
सफल जीवन का राज है।
Must read
Wednesday, October 21, 2015
Tuesday, October 20, 2015
दुनिया नहीं
दुनिया नहीं
Sunday, October 18, 2015
Fwd: Watap
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द ..
गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु भगवंत..
गुरु मेरा देऊ , अलख अभेऊ , सर्व पूज चरण गुरु सेवऊ
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
गुरु का दर्शन .... देख - देख जीवां , गुरु के चरण धोये -
धोये पीवां..
गुरु बिन अवर नही मैं ठाऊँ , अनबिन जपऊ गुरु गुरु नाऊँ
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
गुरु मेरा ज्ञान , गुरु हिरदय ध्यान , गुरु गोपाल पुरख
भगवान्
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
ऐसे गुरु को बल-बल जाइये .. आप मुक्त मोहे तारें..
गुरु की शरण रहो कर जोड़े , गुरु बिना मैं नही होर
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
गुरु बहुत तारे भव पार , गुरु सेवा जम से छुटकार
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
अंधकार में गुरु मंत्र उजारा , गुरु के संग सजल निस्तारा
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
गुरु पूरा पाईया बडभागी , गुरु की सेवा जिथ
ना लागी
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द , गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु
भगवंत..
Saturday, October 17, 2015
जंगल में रहो
Friday, October 16, 2015
मनुष्य के जीवन
"मनुष्य के जीवन में सबसे पहले यह आवश्यक है कि हर समय प्रभु के अस्तित्व का एहसास हमारे मन में बना रहे। मन में ये प्रश्न हमेशा उठते रहें। इन बहती हुई
नदियों को बहाने वाला कौन है ? रंग-बिरंगी तितलियों के पंखों को कौन रंगता है? कौन है जो इस चन्द्रमा में मुस्कुराता है? किसका प्रकाश सूर्य के द्वारा संसार में फैलता है?
असंख्य जीवों को जन्म कौन देता है? कौन सबको भोजन देता है? फूलों में रंग कौन भरता है? पर्वत किसनेबनाए? आकाश को सितारों से कौन सजाता है?
ऐसे अनेक प्रश्नों को मन में पैदा होने दीजिए । इससे आपके मन में ईश्वर के प्रति भावना जागेगी। आपका उनके प्रति विश्वास बढेगा।
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-10-16 14:57 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
. " घंटा " .
. "स्टॅटिक डिस्चार्ज यंत्र" .
मंदिरात प्रवेश करतांना
मोठी घंटा बांधलेली असते.
प्रवेश करणारा
प्रत्येक भाविक
प्रथम घंटानाद करतो
आणि
नंतरच
मंदिरात प्रवेश करतो.
काय असेल यामागचे कारण ?
यामागे आहे
एक शास्रीय कारण,
जेव्हा आपण
त्या घंटेच्या खाली उभे राहून
मान वर करून
हात उंचावून
घंटा वाजवतो
तेव्हा
प्रचंड निनाद होतो
हा ध्वनी
330 मिटर प्रती सेकंद
ह्या वेगाने
आपल्या उगम स्थानापासून
दुर जात असतो
ध्वनीची ही शक्ती
कंपनांच्या माध्यमातून
प्रवास करत असते
आपण नेमके
घंटेच्या खाली उभे असतो
ध्वनीचा निनाद
आपल्या
सहस्राचक्रातून प्रवेश करून शरिरमार्गे
जमीनीकडे प्रवास करतो
हा प्रवास करत असतांना
आपल्या मनात (मस्तकात) चालणारे असंख्य विचार
चिंता काळजी यांना
आपल्यासोबत घेवून जात असतो आपण
निर्वीचार अवस्थेमध्ये जेव्हा परमेश्वरासमोर जातो
तेव्हा
आपल्या मनातील भाव शुद्ध स्वरूपात परमेश्वरापर्यंत
निश्चितच पोहचतो.
म्हणून मंदिरात प्रवेश करतांना घंटानाद जरुर करा
आणि
थोडा वेळ त्या ध्वनीचा आनंद घ्या.
तुम्ही चिंतामुक्त व शुचिर्भूत व्हाल.
मन दिव्य ऊर्जा ग्रहण करण्यास तयार होईल.
देव नावाच्या
दिव्य गाभा-यातील
दिव्य ऊर्जा शक्ती
तुमचं मन ग्रहण करेल.
तुम्ही प्रसन्न व्हाल
🔔🔔🔔🔔🔔🔔 🔔🔔
✋✋✋✋✋✋✋✋
Thursday, October 15, 2015
जो है जैसा
Wednesday, October 14, 2015
आपका वास्तविक
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Wednesday, October 7, 2015
आपका वास्तविक
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Monday, October 5, 2015
जिदंगी मे
गुरुकृपा का अर्थ
गुरुकृपा का अर्थ यह नहीं की जीवन में दुःख न आए, लेकिन दुःख में भी आप दुखी न हों...वह समय कब बीत जाए आपको पता न चले.. यही हे गुरुकृपा।
Sunday, October 4, 2015
Fwd: mggarga2013@gmail.com sent you an image file!
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: Thu, Oct 1, 2015 at 4:51 PM
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
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Saturday, October 3, 2015
Sunday, September 27, 2015
मुस्कराहट
मुस्कराहट से बढ़कर सौंदर्य कोई नहीं हो सकता। प्रसनन्ता ही सबसे बड़ा सौंदर्य है।
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Sunday, September 20, 2015
Fwd: [www.mggg.gurumukhse] अपने पुण्यो
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: 2015-09-20 14:24 GMT+05:30
Subject: [www.mggg.gurumukhse] अपने पुण्यो
To: mggarga1@gmail.com
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Thursday, September 17, 2015
Fwd: [GURUVANNI] देवता
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: Thu, Sep 17, 2015 at 10:13 AM
Subject: [GURUVANNI] देवता
To: mggarga@gmail.com
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Sunday, September 13, 2015
Saturday, September 12, 2015
Fwd: [GURUVANNI] ज्ञानधारा
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: Sat, Sep 12, 2015 at 10:05 AM
Subject: [GURUVANNI] ज्ञानधारा
To: mggarga@gmail.com
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Thursday, September 10, 2015
Fwd: [GURUVANNI] ख़ुशी की
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: Thu, Sep 10, 2015 at 7:31 PM
Subject: [GURUVANNI] ख़ुशी की
To: mggarga@gmail.com
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Tuesday, September 8, 2015
Sunday, September 6, 2015
Fwd: [GURUVANNI] जला देती है
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: Sun, Sep 6, 2015 at 10:43 AM
Subject: [GURUVANNI] जला देती है
To: mggarga@gmail.com
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Saturday, September 5, 2015
Fwd: [GURUVANNI] गम भुलाना
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: Sat, Sep 5, 2015 at 1:20 PM
Subject: [GURUVANNI] गम भुलाना
To: mggarga@gmail.com
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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to GURUVANNI at 9/05/2015 01:20:00 PM
Friday, September 4, 2015
Thursday, September 3, 2015
Fwd: [GURUVANNI] 90% डर
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: Thu, Sep 3, 2015 at 10:20 AM
Subject: [GURUVANNI] 90% डर
To: mggarga@gmail.com
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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to GURUVANNI at 9/03/2015 10:20:00 AM
Wednesday, September 2, 2015
Tuesday, September 1, 2015
Monday, August 31, 2015
Fwd: [GURUVANNI] नियम
Subject: [GURUVANNI] नियम
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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to GURUVANNI at 8/31/2015 04:48:00 PM
Fwd: [GURUVANNI] नियम
Subject: [GURUVANNI] नियम
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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to GURUVANNI at 8/31/2015 04:48:00 PM
Sunday, August 30, 2015
Fwd: [GURUVANNI] अनचाहे
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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to GURUVANNI at 8/30/2015 12:38:00 PM
Saturday, August 29, 2015
Fwd: [GURUVANNI] भगवान गति
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: Sat, Aug 29, 2015 at 9:32 AM
Subject: [GURUVANNI] भगवान गति
To: mggarga@gmail.com
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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to GURUVANNI at 8/29/2015 09:32:00 AM
Fwd: [GURUVANNI] भगवान गति
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: Sat, Aug 29, 2015 at 9:32 AM
Subject: [GURUVANNI] भगवान गति
To: mggarga@gmail.com
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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to GURUVANNI at 8/29/2015 09:32:00 AM
Friday, August 28, 2015
Thursday, August 27, 2015
Wednesday, August 26, 2015
Tuesday, August 25, 2015
Fwd: [GURUVANNI] जैसे कूढ़े पर
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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to GURUVANNI at 8/25/2015 10:40:00 AM