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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

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Monday, November 30, 2015

पैसा




परम पूज्य सुधांशुजी महारा


पैसा ही सब कुछ नहीं है ,उसके पीछे मत् भागो !

Sunday, November 29, 2015

अपने आप

अपने आप को आलोचना करके निराश मत करो।


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Saturday, November 28, 2015

अपने अंहकार




अपने अंहकार का परित्याग करो। विनम्रता अपना लो।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज


Thursday, November 26, 2015

प्रेम वाला



प्रेम वाला इंसान ही दुनिया में निर्माण कर सकता है।


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Tuesday, November 24, 2015

एक दूसरे के



एक दूसरे के लिए जो कुछ कर सकते हो, करो।


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Sunday, November 22, 2015

prarthna




परम पूज्य सुधांशुजी महारा

prarthna
bhagvan jo aap chahate hain agar v n kar sakun to aisi samajh do ki jo aap nahi chahate v bhee n karoon

Tuesday, November 17, 2015

समय और

समय और परिस्थितियाँ नहीं बदलते, तुम्हें ही बदलना होगा।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Sunday, November 15, 2015

Fwd:


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-11-14 18:31 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


कभी सोचा है की प्रभु श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ |
नोट : -अपने बच्चों को बार बार पढ़वाये और स्वयं भी जानकारी रखे धर्म को जानना हमरा कर्तव्य है। शेयर करे ताकि हर सनातनी इस जानकारी को जाने.


Friday, November 13, 2015

Fwd:


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-11-09 16:28 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


🔱सुविचार मंथन🔱

आज धनतेरस का पवित्र महापर्व है, जो कि ब्रह्माण्ड के पहले चिकित्सक भगवान "धन्वन्तरी" की याद में मनाया जाता है क्योंकि, वस्तुतः स्वास्थ्य ही सबसे अमूल्य धन है। इसके दो दिवस पश्चात देवी लक्ष्मी का उद्भव हुआ था।
आज के दिन धातु की खरीददारी क्यों की जाती है ?
  आज के ही दिन समुद्र मंथन के दौरान ब्रह्माण्ड के प्रथम चिकित्सक भगवान् धन्वन्तरी हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और ऐसी मान्यता है कि आज के दिन धातु घर लाने से उसके साथ अमृत के अंश भी घर आते हैं, इसीलिए, आज धनतेरस के दिन धातु ख़रीदा जाता है।
अकाल मृत्यु से रक्षा हेतु घर के आँगन  में यम दीपदान का भी आज विशेष महत्व होता है। दीप प्रज्वलित किये जाते हैं।

धनतेरस धन से सम्बंधित नहीं है। कुंठित उपभोक्तावाद से प्रेरित बाजारीकरण के कारण धनतेरस को लेकर कुछ भ्रांतियों के कारण यह बहुत कम लोग जानते है की वास्तव में धनतेरस में "धन" शब्द स्वास्थ्य के देवता धनवंतरी से लिया गया है कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। देवी लक्ष्मी निश्चित ही धन की देवी हैं परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आपको स्वास्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए यही कारण है कि दीपावली से दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हें। समुद्र मंथन के समय धन्वन्तरि जी कलश में अमृत लेकर प्रकट हुए थे इसी कारण इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा है आज के दिन वास्तविक परम्परा केवल नया बर्तन खरीदने की है या चाँदी भी खरीद सकते हैं। बाजारीकरण और धन के प्रति हमारे लगाव ने हमें भटका सा दिया है और हम भीड़ के पीछे चलकर कुछ भी खरीदने को चल पड़ते है जैसे टीवी, वाहन, कपडे, फर्नीचर आदि जो कि मूर्खता है एवं पूर्णतया कुंठित उपभोक्तावाद से प्रेरित है। इस दिन चाँदी खरीदने की प्रथा के पीछे भी यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। भगवान धन्वन्तरी जो चिकित्सा के देवता हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हें। निवेदन है कि स्वास्थ्य रुपी धन के इस दिन को केवल पैसे की दृष्टि से न देखें नहीं तो हमारी परम्परायें या तो समाप्त हो जाएँगी अथवा उनका स्वरुप बिगड़ जायेगा। 
इसके साथ ही मेरे सभी मित्रो एवं उनके सम्पूर्ण परिवारजनों को अच्छे स्वास्थ्य एवं लंबी आयु की हार्दिक शुभकामनाएँ।


Thursday, November 12, 2015

Fwd:


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-11-11 5:41 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


हम दीपावली का त्यौहार क्यूँ मनाते है?

इसका अधिकतर उत्तर मिलता है राम जी के वनवास से लौटने की ख़ुशी में।
सच है पर अधूरा।। अगर ऐसा ही है तो फिर हम सब दीपावली पर भगवान राम की पूजा क्यों नहीं करते? लक्ष्मी जी और गणेश भगवान की क्यों करते है?
सोच में पड़ गए न आप भी।

इसका उत्तर आप तक पहुँचाने का प्रयत्न कर रहा हूँ अगर कोई त्रुटि रह जाये तो क्षमा कीजियेगा।

1. देवी लक्ष्मी जी का प्राकट्य:
देवी लक्ष्मी जी कार्तिक मॉस की अमावस्या के दिन समुन्दर मंथन में से अवतार लेकर प्रकट हुई थी।

2. भगवान विष्णु द्वारा लक्ष्मी जी को बचाना:
भगवान विष्णु ने आज ही के दिन अपने पांचवे अवतार वामन अवतार में देवी लक्ष्मी को राजा बालि से मुक्त करवाया था।

3. नरकासुर वध कृष्ण द्वारा:
इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षसों के राजा नरकासुर का वध कर उसके चंगुल से 16000 औरतों को मुक्त करवाया था। इसी ख़ुशी में दीपावली का त्यौहार दो दिन तक मनाया गया। इसे विजय पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

4. पांडवो की वापसी:
महाभारत में लिखे अनुसार कार्तिक अमावस्या को पांडव अपना 12 साल का वनवास काट कर वापिस आये थे जो की उन्हें चौसर में कौरवो द्वारा हराये जाने के परिणाम स्वरूप मिला था। इस प्रकार उनके लौटने की खुशी में दीपावली मनाई गई।

5. राम जी की विजय पर :
रामायण के अनुसार ये चंद्रमा के कार्तिक मास की अमावस्या के नए दिन की शुरुआत थी जब भगवन राम माता सीता और लक्ष्मण जी अयोध्या वापिस लौटे थे रावण और उसकी लंका का दहन करके। अयोध्या के नागरिकों ने पुरे राज्य को इस प्रकार दीपमाला से प्रकाशित किया था जैसा आजतक कभी भी नहीं हुआ था।

6. विक्रमादित्य का राजतिलक:
आज ही के दिन भारत के महान राजा विक्रमदित्य का राज्याभिषेक हुआ था। इसी कारण दीपावली अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना भी है।

7. आर्य समाज के लिए प्रमुख दिन:
आज ही के दिन कार्तिक अमावस्या को एक महान व्यक्ति स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने हिंदुत्व का अस्तित्व बनाये रखने के लिए आर्य समाज की स्थापना की थी।

8. जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण दिन:
महावीर तीर्थंकर जी ने कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही मोक्ष प्राप्त किया था।

9. सिक्खों के लिए महत्त्व:
तीसरे सिक्ख गुरु गुरु अमरदास जी ने लाल पत्र दिवस के रूप में मनाया था जिसमे सभी श्रद्धालु गुरु से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे और 1577 में अमृतसर में हरिमंदिर साहिब का शिलान्यास किया गया था।

1619 में सिक्ख गुरु हरगोबिन्द जी को ग्वालियर के किले में 52 राजाओ के साथ मुक्त किया गया था जिन्हें मुगल बादशाह जहांगीर ने नजरबन्द किया हुआ था। इसे सिक्ख समाज बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी जानते हैं।

10. द पोप का दीपावली पर भाषण:
1999 में पॉप जॉन पॉल 2 ने भारत में एक खास भाषण दिया था जिसमे चर्च को दीपावली के दीयों से सजाया गया था। पॉप के माथे पर तिलक लगाया गया था। और उन्होंने दीपावली के संदर्भ में रोंगटे खड़े कर देने वाली बाते बताई।

भगवान् गणेश सभी देवो में प्रथम पूजनीय है इसी कारण उनकी देवी लक्ष्मी जी के साथ दीपावली पर पूजा होती है और बाकी सभी कारणों के लिए हम दीपमाला लगाकर दीपावली का त्यौहार मनाते हैं।

अब आपसे एक विनम्र निवेदन की इस जानकारी को अपने परिवार अपने बच्चों से जरूर साँझा करे । ताकि उन्हें दीपावली के महत्त्व की पूरी जानकारी प्राप्त हो सके!
शुभ दीपावली


Saturday, November 7, 2015

सीखना

सीखना जारी रहना चाहिए, सीखना रुकना नही चाहिए।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Thursday, November 5, 2015

कीमती पैसा नहीं

कीमती पैसा नहीं है वह तो जीवन चलाने के लिए है। जीवन को कीमती बनाने के लिए कीमती है सदविचार्।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

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