प्रारथना----कल्याणप्रद
बृहस्पतिवार की प्रात:समय की प्रार्थना ! 1
हे दीनबनधोसुख निधे ,जय जय चराचर नायकं !
आनन्ददाता जय विभो ,जन मुक्ति पदवी दायक !!
नर देह दुर्लभ दान की, अब यह अनुग्रह कीजिए !
सब विघ्न पातक दूर हों , निज प्रेम अतिक्षय दीजिए !!
जप यज्ञ तप बनते नहीं ,कलिकाल कीर्तन हम करें!
यह जनों पर कीजे कृपा, दुष्कर्म को प्रति दिन हरें !!
बृहस्पतिवार की प्रात:समय की प्रार्थना ! 1
हे दीनबनधोसुख निधे ,जय जय चराचर नायकं !
आनन्ददाता जय विभो ,जन मुक्ति पदवी दायक !!
नर देह दुर्लभ दान की, अब यह अनुग्रह कीजिए !
सब विघ्न पातक दूर हों , निज प्रेम अतिक्षय दीजिए !!
जप यज्ञ तप बनते नहीं ,कलिकाल कीर्तन हम करें!
यह जनों पर कीजे कृपा, दुष्कर्म को प्रति दिन हरें !!
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